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Picture Credit: Time Magazine |
Written by: Amir Hashmi
आज आचार्य विनोबा भावे की पुण्य तिथि है । भूदान आंदोलन के
प्रणेता के रूप में हम उन्हें जानते हैं। 'जय
जगत' का नारा उन्होंने दिया। स्नेह के साथ
रहना, सहजीवन को अपनाना, किसी
से बैर नहीं पालना। ये उन के लोक मन्त्र थे ।
'सर्वोदय' का
उनका विचार आज भी जरूरी है ।
उन्होंने जीवन-जगत के नाना व्यवहारों पर वैज्ञानिक दर्शन
दिया है । वे प्रगतिशील सोच वाले थे । 22 भाषाओँ के जानकार थे । हिंदी के उपासक थे । गाय को लेकर उनका
वैज्ञानिक चिन्तन था । देश में गौ वध पर प्रतिबन्ध की मांग को ले कर वे आमरण अनशन
पर बैठ गए थे । केंद्र ने झूठा वादा कर के उनका अनशन तुड़वा दिया था । कुछ दिन बाद ही उनका निधन (15 नवम्बर 1982) हो
गया ।
कुछ लोग उन्हें सरकारी सन्त भी कह देते हैं । इस देश में
चुके लोगों की लंबी सूची है, वे गाँधी को अपशब्द कहते हैं, राम-कृष्ण
या किसी भी महापुरुष की निंदा करते मिल जाते हैं । ये वे लोग हैं जो जीवन में कुछ
नहीं करते, सूरज को ढ़कने की कोशिश में लगे रहते हैं ।
अगर एक बार हम विनोबा को पढ़े, समझे, तो पता चलेगा की वे आज भी बेहद
प्रासंगिक है ।
लेखक आमिर हाश्मी एक्टर, फिल्म निर्माता और समाजसेवी हैं ।
Disclaimer: लेख में व्यक्त किये विचार निजी है. लेखक का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुचना नही है.
Nice Amir Sir
ReplyDeleteVahutkhub janab
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