जल संरक्षण मॉडल के बारें में जानकारी प्राप्त करते हुए दक्षिण अफ्रीका के प्रतिनिधि
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राजस्थान
भारत का ऐसा राज्य है जिसे सूखे की समस्या सबसे ज़्यादा जूझना पड़ता है। सूखे से
निपटने के लिए राजस्थान सरकार ने मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान की
शुरूआत की। दक्षिण अफ्रीका सूखे से निपटने की इस तरक़ीब से बहुत प्रभावित हुआ है
और उसने राजस्थान से जल संरक्षण की यह तरक़ीब सिखने का निश्चय किया है।
पिछले
दिनों राजस्थान में ‘आपदा प्रबंधन’ विषय पर ब्रिक्स देश के मंत्रियों का
दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। उस सम्मेलन में राजस्थान सरकार ने मुख्यमंत्री
जल स्वावलंबन अभियान के तहत एक प्रदर्शनी लगाई थी। दक्षिण अफ्रीका का एक प्रतिनिधि
मंडल भी सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आया था।
दक्षिण
अफ्रीका के प्रतिनिधि मंडल दल के प्रमुख वहां के मंत्री डेस वेन रोयीन कर रहे थे।
उन्हे राजस्थान के जल संरक्षण का मॉडल सूखे से निपटने के लिए मुनासिब लगा। सूखे से
निपटने के लिए दक्षिण अफ्रीका इसे अपने देश में अपनाने की तैयारी कर रहा है।
दक्षिण
अफ्रीका पिछले तकरीबन 30 सालों से सूखे की मार झेल रहा है। दक्षिण अफ्रीका में जल
संरक्षण करने का कोई सिस्टम नही है। दक्षिण अफ्रीका के सहकारी प्रशासन एवं
परंपरागत मामलों के मंत्री डेस वेन रोयीन ने कहा कि वे पिछले तीस वर्षों से पानी
को व्यर्थ में बहा रहे है। वाटर हार्वेभस्टग एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए व्यर्थ में
बह रहे पानी का भी प्रभावी उपयोग किया जा
सकता है।
दक्षिण
अफ्रीका का प्रतिनिधि दल जल संरक्षण के काम को देखने के लिए उदयपुर के बावडी गांव
भी गया। दल ने जल संरक्षण के काम को बारिकी से देखा और जल संरक्षण की तरक़ीब के
बारे में जानकारी हासिल किया।
क्या है मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान
राजस्थान
की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने जनवरी 2016 में इस अभियान की शुरूआत की। इस
अभियान के तहत वर्षा का जो जल व्यर्थ में बहता था, उस जल को जगह-जगह इकट्ठा किया जाता है। यह
योजना बहुत ही कारगर सिद्ध हो रही है। इससे राजस्थान में जल संकट को कम किया जा
सकता है। इससे भूमिगत जल का स्तर भी बढ़ेगा। राजस्थान की मुख्यमंत्री बसुन्धरा
राजे का कहती हैं, “जल संरक्षण होगा तो भू-जल बढ़ेगा,
सूखे नदी-नालों में पानी आएगा और एक रिवर बेसिन से दूसरे रिवर बेसिन में पानी
जाएगा जिससे इसका सदुपयोग होगा।”
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना को आम जनमानस का व्यापक
समर्थन
सूखे व जल
संकट से निपटने के लिए चलाये गये इस अभियान को राजस्थान के आम जनमानस का व्यापक
समर्थन प्राप्त है। इस अभियान को किसानों और अधिकारियों का भी समर्थन खुले दिल से
प्राप्त है। वहां के लोगों को यह पता है कि इस अभियान के सुखद परिणाम आने वाले
दिनों में देखने को मिलेंगे, जब भूमिगत जल का स्तर बढ़ेगा तो, इससे पीने व सिंचाई
के लिए पानी आसानी से उपलब्ध होगा। इस अभियान को सफल बनाने के लिए राजस्थान के
प्रदेशभर के पुलिसकर्मियों ने अपना एक दिन का वेतन दिया था।
राजस्थान
सरकार का यह अभियान बेहद काबिलेतारीफ़ है। यह राजस्थान की अवाम के लिए मील का
पत्थर साबित होगा। बेशक इस अभियान की शुरूआत भारत के अन्य राज्यों में होने में
देर हो, लेकिन दक्षिण अफ्रीका ने इसे अपने यहां लागु करने की कोशिश शुरू कर दिया
है। सरकार को इस अभियान को पूरे देश में चलाना चाहिए। इस अभियान से पूरे देश के
भूमिगत जल के स्तर में सुधार किया जा सकता है, जिससे कृषि कार्य को बढ़ावा मिलेगा।
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