Tuesday 6 December 2016

फ्लॉप शो साबित हो सकता है नोटबंदी का फ़ैसला

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पीएम ने 8 नवबंर को नोटबंदी का ऐलान किया। सरकार ने दावा किया कि कालाधन सामने लाने के मक़सद से यह फ़ैसला किया गया है। इस फ़ैसले के तहत 500 और 1000 रूपये के रूपये के पुराने नोट बंद कर दिये गये। इसके बाद पूरे देश में पैसे के लिए हाय-तौबा मची हुई है। हर बैंकों के बाहर लोगों की लंबी-लंबी कतारे लग रही हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी और असम से गुजरात तक एक-ही जैसा माहौल है। कुछ लोग पैसा जमा करने के लिए लाइन में लग रहे हैं तो कुछ पैसा निकालने के लिए।

नोटबंदी के इस फ़ैसले का अमीरों पर कुछ ख़ास असर नही पड़ा है। वे अपने पैसे को शेयर और रियल स्टेट में इन्वेस्ट कर रखे हैं। इस फ़ैसले का सबसे ज़्यादा असर देश के आम आदमी पर पड़ा है। देश में करोड़ों ऐसे लोग हैं जिनका कोई बैंक एकाउंट नही है। ये लोग अब भी लेन-देन कैश के माध्यम से ही करते हैं। ये बैंक में जाकर पैसा जमा करने से बेहतर मानते हैं घर में पैसा रखना।

देश का ग़रीब तबका, जिसे दिनभर काम करने के बाद शाम को जो मेहताना (मजदूरी) मिलती है, उससे वह खाने-पीने का जुगाड़ करता है। उसके पास इतना समय नही होता है कि वह बैंक में जाकर पैसे जमा कर सके। अगर वह कुछ रूपये बचाकर बैंक में जमा करने चला भी गया तो फिर उसे शाम को भोजन के लिए सोचना पड़ सकता है।

बेशक आप दिल्ली-एनसीआर जैसे बड़े शहर में चाय पीकर पेटीएम करते हों, लेकिन अगर आप बनारस के किसी गांव में जाकर पेटीएम करना चाहेंगे, तो यह बहुत हद तक मुमकिन नही है। गांव में मोबाईल फोन तो पहुंच गये है लेकिन उसे चार्ज करने के लिए (इलेक्ट्रिक) बिजली की समस्या आज भी बरकरार है । उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर में कुछ गांव तो ऐसे हैं, जहां के लोगों के पास मोबाईल फ़ोन तो है लेकिन उसे चार्ज करने के लिए मीलों सफ़र करना पड़ता है, ऐसे में कैशलेस इंडिया का सपना एक कोरी कल्पना ही साबित होगी ।

बैंकों की पहुंच अभी भी गांव में कम ही है । वैसे तो गांव में पहले से ही कुछ हद तक कैशलेस व्यवस्था चल रही है । गांव में आज भी कमोडिटी एक्सचेंज (वस्तु-विनिमय) की व्यवस्था कायम है । गांववाले आपस में एक-दूसरे से अनाज का लेन-देन करते हैं । बावजूद इसके, सब्जी तथा अन्य सामान खरीदने के लिए लोगों को कैश का उपयोग करना पड़ता है। 

कुछ लोग नोटबंदी के फ़ैसले की आलोचना कर रहे हैं और कुछ लोग तारीफ़। फिलहाल मौजूदा वक़्त में लोगों को इससे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

कालेधन को समाप्त करने के लिहाज से सरकार का नोटबंदी का फ़ैसला काबिले-तारीफ़ है, लेकिन सरकार अभी तक पर्याप्त धन मुहैया कराने में नाकाम ही रही है। सरकार को कैश की समस्या का जल्द ही समाधान करना होगा। अगर सरकार कैश की पर्याप्त व्यवस्था करने में नाकाम हुई तो नोटबंदी का फ़ैसला फ्लॉप शो साबित हो जायेगा।

चुनौतीपूर्ण होगा राष्ट्रगान के फ़ैसले को अमल में लाना

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देश में इस वक़्त राष्ट्रगान को लेकर बहस छिड़ी हुई है. बहस की वजह बना है सुप्रीम कोर्ट का आदेश. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के रहने वाले श्याम नारायण चौकसे की जनहित याचिका पर एक अहम फ़ैसला सुनाते हुए आदेश दिया कि सिनेमाघरों में फ़िल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान अनिवार्य रूप से बजाया जाय. साथ ही कोर्ट ने कहा कि सिनेमाघर में राष्ट्रगान बजते समय सभी लोगों को खड़ा भी होना होगा.

पूरे देश में इस आदेश की समीक्षा हो रही है. कुछ लोग इसकी आलोचना भी कर रहे हैं. संविधान के अनुच्छेद 51 (A) के अनुसार, भारत के राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है.

अभी तक लोग सिनेमाघर में मनोरंजन करने के लिए जाते थे लेकिन अब उन्हे राष्ट्रगान भी गाना पड़ेगा. यह देखना अपने आप में बेहद दिलचस्प होगा कि सरकार किस तरह रोमांटिक फ़िल्म देखने के लिए आने वाले प्रेमी-प्रेमिकाओं को राष्ट्रगान गाने के लिए मनाती है. 

महाराष्ट्र के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बहुत पहले से राष्ट्रगान बजाया जाता है. सिनेमाघरों में 60 और 70 के दशक में राष्ट्रगान बजाया जाता था लेकिन लोग सावधान मुद्रा में खड़े नही रहते थे. बीच-बीच में इधर-उधर आते जाते रहते थे, लिहाजा कुछ वक़्त बाद प्रथा समाप्त हो गई.

सुप्रीम कोर्ट ने विजोई इमानुएल व अन्य बनाम स्टेट ऑफ़ केरल व अन्य में वर्ष 1986 में कहा था,“राष्ट्रीय गान बजने के दौरान उसे गाना जरूरी नही है. अगर कोई उसके सम्मान में खड़ा हो जाता है, तो पर्याप्त है.


कोर्ट ने सिनेमाघर में राष्ट्रगान को अनिवार्य करने का फ़ैसला सुना दिया लेकिन इसे अमल में कराने में सरकार को चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. कहीं ऐसा न हो कि कुछ तथाकथित राष्ट्रभक्त खुद सिनेमाघर में पहुंचकर क़ानून अपने हाथ में लेकर इस फ़ैसले को लागु न करवाने लगे. सरकार को बहुत ही धैर्य से काम लेना होगा.

Thursday 1 December 2016

नोटबंदी से मंदे पड़े ग़ैरक़ानूनी धंधे


बेशक प्रधानमंत्री ने कालाधन सामने लाने के लिए नोटबंदी का ऐलान किया हो, लेकिन इसका असर ग़ैरक़ानूनी धंधों पर भी पड़ा है. 8 नवंबर की रात प्रधानमंत्री ने 500 और 1000 रूपये के नोट बंद करने का ऐलान किया. इसके बाद कालाधन रखने वालों में खौफ़ का माहौल है. नोटबंदी से कई ग़ैरक़ानूनी धंधे मंदे पड़ गये हैं. हम ऐसे ही कुछ ग़ैरक़ानूनी धंधों पर नज़र डालते हैं –  

1.     सट्टा बाज़ार मंदासट्टा बाज़ार पर नोटबंदी का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है. देश के तकरीबन सभी शहरों सट्टा का बड़ा ग़ैरक़ानूनी कारोबार है लेकिन नोटबंदी के बाद यह मंदा पड़ गया है. इससे सभी सटोरिये खासे परेशान हैं. एक सटोरिये ने बताया कि मैच खत्म होने के बाद पैसों का हिसाब होता है. पुराने नोट सट्टा बाज़ार में नही चल रहे हैं और नये नोटों की कमी है, लिहाजा कोई सट्टा लगाने के लिए तैयार नही है और सटोरिये भी इसमें कम रूचि ले रहे है. सूत्रों के मुताबिक सटोरिये भी अपने पुराने नोटों को ठिकानें लगाने में व्यस्त हैं. 

2.     शराब और ड्रग्स तस्करी में कमी – पहले शाम होते ही देश के महानगरों समेत कई शहरों में शराब की दुकानों पर लम्बी कतारें लग जाती थी. लेकिन नोटबंदी के बाद शराबों की दुकान पर इक्का-दुक्का ग्राहक ही नज़र आ रहे हैं. आबकारी विभाग के सूत्रों की मानें तो, नोटबंदी से सरकारी दुकानों पर शराब की बिक्री में 30 से 40 प्रतिशत की कमी आई है.
      इसके साथ ही ग्रामीण इलाकों में ग़ैरक़ानूनी ढंग से बेची जाने वाली कच्ची शराब और गांजे पर भी असर पड़ा है. नोटबंदी की मार से लोग शराब पीने और ड्रग्स लेने से तौबा कर लिया है और इसके तस्करी में भी कमी आई है. नोटबंदी के बाद एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में कमी आई है.
3.     सेक्स रैकेट भी प्रभावितनोटबंदी से सेक्स रैकेट का धंधा भी प्रभावित हुआ है. पहले इसके लिए बाकायदा होटल बुक रहते थे लेकिन नोटबंदी के बाद होटलों की बुकिंग में कमी आई है. रेड लाइट एरिया में भी ग्राहकों की संख्या में कमी आई है.

4.     जेबकतरों का आतंक कम 500 और 1000 रूपये के नोट बंद होने के बाद जेबकतरों का आतंक भी कम हो गया है. दिल्ली के नार्थ-ईस्ट ईलाके में जेबकतरे सबसे ज्यादा इस घटना को अंजाम देते है. नार्थ-ईस्ट दिल्ली के डीसीपी अजित सिंगला बताते हैं कि नोटबंदी के बाद जेब कटने की शिकायतें कम आ रही हैं. जेबकतरे पुरानी नोट पर हाथ साफ नही कर रहे हैं और नई नोट लोग काफ़ी संभाल कर रख रहे हैं.

5.     हवाला कारोबार भी ठप्प नोटबंदी की वजह से हवाला कारोबार भी अछूता है. पहले हवाला बाज़ार में प्रतिदिन करोडो रूपये का वारा-न्यारा होता था लेकिन 500 और 1000 रूपये के नोट बंद होने के बाद हवाला कारोबार ठप्प हो गया है. सूत्रों के मुताबिक, हवाला कारोबारी अपने पुराने नोटों को बदलने में व्यस्त हैं. क्राइम ब्रांच के संयुक्त आयुक्त रवीन्द्र सिंह यादव बताते हैं कि नोटबंदी के बाद हवाला कारोबार से जुड़ी कोई शिकायत नही आई है. पहले शिकायतें आती रहती थी और उस पर कारवाई भी जाती थी.

पीएम का नोटबंदी का फ़ैसला एक तीर से कई निशाना साधने का काम कर रहा है. इस फ़ैसले से ये सब ग़ैरक़ानूनी धंधे एक झटके में मंदे पड़ गये हैं. हालांकि कैश की कमी से देश की अवाम को थोड़ी परेशानी भी आ रही है लेकिन सरकार आश्वासन दे रही है कि जल्द ही इससे निज़ात पा लिया जायेगा.