Thursday 14 July 2016

कांग्रेस की शीला दीक्षित के ज़रिए ‘एकै साधे सब सधै’ की कोशिश


कांग्रेस का प्रमोद तिवारी, सलमान ख़ुर्शीद और जितिन प्रसाद को नज़रअंदाज करके शीला दीक्षित को सीएम उम्मीदवार बनाना एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय की रणनीति का हिस्सा हैं। कांग्रेस ने कई कसौटियों पर परख़ने के बाद इन्हें सीएम उम्मीदवार बनाया है।

विकास का चेहरा – कांग्रेस शीला दीक्षित का दिल्ली का विकास मॉडल पेश करेगी। दिल्ली के विकास में शीला का अहम योगदान रहा है। सड़के, बड़े-बड़े फ़्लाईओवर, एसी बस तथा ख़ासतौर से मेट्रो को तो दिल्ली में लाने का श्रेय ही शीला दीक्षित को जाता है।
            कांग्रेस पिछले 27 सालों से यूपी की सत्ता से बाहर हैं। इन 27 सालों में सपा, बसपा और भाजपा की सरकारें रही हैं। कांग्रेस विकास को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाकर जनता के बीच जाएगी और इसी मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों को घेरेगी।

बतौर मुख्यमंत्री अनुभव - शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक दिल्ली की सीएम रह चुकी हैं। उनके पास 15 साल तक सरकार चलाने का अनुभव है। बतौर सीएम अखलेश यादव पर आरोप लगते रहे है कि अफ़सर उनकी बात नही सुनते है। ऐसे में कांग्रेस शीला के अनुभव का फ़ायदा उठाने की कोशिश करेगी।

ब्राहम्ण चेहरा - शीला दीक्षित पूर्व केन्द्रीय मंत्री उमाशंकर दीक्षित की बहु है, इसीलिए शीला ख़ुद को यूपी की बहु बताती है। यूपी में कुल 10 फ़ीसदी ब्राहम्ण वोटर है। कमण्डल की राजनीति के बाद ब्राहम्ण वोटर बीजेपी के साथ है। कांग्रेस को उम्मीद है कि शीला ब्राहम्णों को लुभाने में कामयाब होगी।

महिला उम्मीदवार -  शीला दीक्षित को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस ने मायावती को चुनौती देने की कोशिश की है। बीजेपी की तरफ़ से स्मृति ईरानी या मेनका गांधी को आगे करने की ख़बर आ रही थी, लिहाजा कांग्रेस ने अपनी तरफ़ से शीला को आगे किया।

शीला दीक्षित को सीएम उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस ने विकास, अनुभव, महिला तथा जातिवाद के मुद्दे को साधने की कोशिश की है। शीला दीक्षित को यूपी चुनाव में ख़ुद को साबित करना बड़ी चुनौती होगा।