ठंडी के दिनों में 5 या 6 डिग्री तापमान होने पर हम और आप ठिठुरने लगते है, मुँह से बिना सिगरेट पीये ही धुआं निकलने लगता है, जो कभी सिगरेट भी नही पीता व भी ठंडी के कारण स्मोकर बन जाता है। ऐसे में कोई अपने घर से बाहर
नही निकलना चाहता है। यह हालात हमारी और आपकी तब होती हैं जब तापमान सिर्फ 5 या डिग्री सेल्सियस होता हैं, अब आप सोचिेए जरा उनके बारें मे जो -50 डिग्री तापमान में चौबिस घण्टे अपना ड्यूटी करते
हैं। जी हां, मैं सियाचीन की ही बात कर रहा हुँ। सियाचीन में
तकरीबन -50 डिग्री तापमान रहता हैं। ऐसे कठिन हालात में जहां
ये नही पता होता कि कब मौत आ जायें, दुश्मन
के गोलियों से बड़ा खतरा खुद उस जगह से होता है जहां वे पहरा दे रहे होते हैं। ऐसी
कठिन परिस्थिति में देश की रक्षा के लिए जवान चौबिसों घंटे पहरा देते रहते है ताकि
देशवासी सकुन से रह सके। ऐसे
ही स्थिति में हमारे सेना एक जवान अपना प्राण न्यौछावर कर गया। लांसनायक
हनुमंतप्पा के बारें में लिखते नही बन रहा हैं, ना
जाने क्यों अंगुलियां कांप रही हैं, मुझसे
उनके बार में कुछ लिखते नही बन रहा हैं, मैं
नही लिखुंगा कुछ। लांसनायक हनुमंतप्पा को भावभीनी श्रद्धांजलि।