Friday 2 September 2016

अरूणाचल प्रदेश को टुरिस्ट हब के रूप में विकसित करने की तैयारी

Picture Credit: Arunachal Tourism Facebook Page

अरूणाचल प्रदेश को भारत का आर्किड स्टेट कहते है क्योकि यहां 500 से भी अधिक प्रजाति के आर्किड पाये जाते है। यह राज्य भारत के पूर्वी छोर पर स्थित है, इसलिए इसे उगते सूरज का प्रदेश भी कहते है। टुरिस्टों को लुभाने के लिए केन्द्र सरकार नार्थ-ईस्ट के राज्यों को टुरिस्ट हब के रूप में विकसित करने की तैयारी कर रही है। नार्थ-ईस्ट में अरूणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैण्ड और त्रिपुरा सहित कुल सात राज्य है। इन सभी राज्यों को अलग-अलग चरणों में टुरिस्ट हब के रूप में विकसित किया जायेगा। पहले चरण में अरूणाचल प्रदेश को विकसित किया जायेगा ।

अरूणाचल प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनायें है। इसी को मद्देनज़र रखते हुए अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने शुक्रवार को केन्द्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा से दिल्ली में मुलाक़ात की । इस मुलाक़ात में अरूणाचल प्रदेश के विकास और पर्यटन को बढ़ावा देने सहित अन्य कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। अरूणाचल में पर्यटन स्थलों के साथ कई धर्मों के तीर्थस्थल भी है।

अरूणाचल प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से भारत का एक प्रमुख राज्य है। अरूणाचल में विविध प्रकार की वनस्पति और जीव-जन्तु पाये जाते है । इसका अधिकांश भाग हिमालय से ढका हुआ है। भारत में सबसे पहले सूरज अरूणाचल के त्वांग में ही निकलता है, इसे देखने के लिए पर्यटन बड़े पैमाने पर आते है। यहां का शान्त व प्राकृतिक माहौल ही इसकी विशेषता है। वर्षों पहले विलुप्त हो चुके जीव और कीट यहां आसानी से देखने को मिल जाते है। बड़ी संख्या में पर्यटक बर्फबारी का लुत्फ़ उठाने के लिए यहां आते है। राफ्टिंग के लिए भी यह बहुत ही उपयुक्त जगह है। अरूणाचल के विभिन्न जनजातियों के लोक-संगीत और उत्सव तथा हरे-भरे जंगल तथा और ऊँचे-ऊँचे पहाड़ पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते है ।

अरूणाचल के प्रमुख पर्यटन स्थल
यूं तो पूरे अरूणाचल प्रदेश में ही प्राकृतिक छटा निहारने को मिलती है लेकिन हम आपको कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल के बारे में बताते है।
Picture Credit: Arunachal Tourism Facebook Page
1.   नामदाफ़ा नेशनल पार्क- यह पार्क तकरीबन 1985 वर्ग किमी में फैला हुआ है। सरकार ने 1983 ने इसे टाइगर रिजर्व पार्क घोषित किया। इस पार्क में हरे-भरे पेड़-पौधे और वनस्पतियां देखने को मिलती है, जो पर्यटकों को पर्यटकों को लुभाते है । वर्षों पहले विलुप्त हो चुके जीव यहां देखने के लिए मिल जाते है, इसलिए वन्य-जीव पर शोध कर रहे रिसर्च के छात्र भी बड़े पैमाने पर आते है। इस पार्क में सफेद पंखों वाली वुड डक पक्षी देखने को मिल जाती है। यह भारत का ही नही, बल्कि दुनिया का एकमात्र ऐसा पार्क है जहां बाघ की चार प्रजातियां पायी जाती है। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक इस पार्क में घुमने के लिए आते है।

2   2. एलॉन्ग- यह प्राकृतिक वातावरण के बीच स्थित एक छोटा-सा क़स्बा है। यह समुन्द्री तल से 300 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। गर्मी के मौसम में बडी संख्या में पर्यटक यहां आते है। यह प्राकृतिक सुन्दरता से भरपुर स्थान है, जो पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है।

3    3. पौराणिक गंगा झील- ख़ूबसूरत जंगल के बीच यह झील स्थित है। इसकी दूरी ईटानगर से तकरीबन 6 किमी है। जंगल में सुन्दर पेड़-पौधे और वन्य जीव देखने को मिलते है। यहां आने वाले पर्यटक झील और जंगल में सैर करते है। यह अरूणाचल का प्रमुख पर्यटक स्थल है।

4      4. पामुर खेर- अरूणाचल के अन्य पर्यटन स्थलों की तरह यह भी प्राकृतिक माहौल में स्थित है। यह हिमालय की तलहटी में बसा हुआ है। यहां से पर्यटक हिमालय की कई चोटियों को आसानी से देख सकते है। यहां पर तिब्बत-बर्मा भाषा बडे पैमाने पर बोली जाती है। यहां इण्डो-मंगल प्रजाति से संबंध रखने वाले लोग रहते है। ये लोग फरवरी के पहले हफ्ते में न्योकुम उत्सव मनाते है । बडी संख्या में पर्यटक इस उत्सव में शामिल होने के लिए आते है ।    

अरूणाचल को पर्यटन के रूप में विकसित करने में आने वाली चुनौती 
प्रकृति की सुरम्य गोद में स्थित यह राज्य आज भी विकास की बाट जोह रहा है। भारत के पूर्वी छोर पर स्थित यह राज्य चीन से सीमा से सटा हुआ है। इस राज्य में भारत का चीन के साथ सीमा विवाद सुलझ नही पाया है, आये दिन चीन भारत की सीमा में घुस आता है। टुरिस्ट इस विवाद की वजह से अरूणाचल जाने से बचने की कोशिश करते है। अरूणाचल में ऐसे सैकड़ो गांव है जो आज भी बिजली की सुविधा से महरूम है। शहरों में तो पक्की सड़के है, लेकिन शहरों से दूर गावों में पक्की सड़के नही है। दूर-दराज के गांवों में मोबाईल में नेटवर्क ही नही रहता है,  टुरिस्ट मोबाईल काम करनी की वजह से परेशानी का सामना करते है, इस परेशानी से दो-चार होने के वाद टुरिस्ट दोबारा इस तरफ़ रूख़ नही करना चाहते है। भारत-चीन बॉर्डर से तकरीबन 50-60 किमी दूर तक आने-जाने के लिए सड़के नही है । अरूणाचल के सभी गांव अपने आप में पर्यटन केन्द्र है। इन सभी गांवों को विकसित करके पर्यटकों को लुभाया जा सकता है।

       अरूणाचल में ट्रेकिंग और राफ़्टिंग एड़वेंचर का भी पर्यटक लुत्फ़ उठा सकते है। ट्रेकिंग के लिए अक्टुबर से मई तक का समय सबसे उपयुक्त होता है। केन्द्र सरकार नार्थ-ईस्ट के पर्यटन केन्दों को विकसित करने के प्रति संजीदा दिखाई दे रही है। केन्द्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर पर्यटकों को लुभाने के लिए कई तरह की योजनाएं बना रही है, उसमें से हवाई किराया कम करने की योजना भी प्रमुख है। टुरिस्ट हब के रूप में विकसित करने से केन्द्र व राज्य सरकार को आर्थिक लाभ होगा। 

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